सम्पूर्ण श्री हनुमान चालीसा | Shri Hanuman chalisa Hindi lyrics Pdf

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श्री राम भक्त हनुमान कलयुग के देवता माने जाते हैं। हनुमान जी को रुद्रावतार भी कहा जाता है। जो व्यक्ति नियमित रूप से हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का पाठ करता है, उस पर हनुमान जी के अलावां श्रीराम एवं भगवान् शंकर एवं माता पार्वती की भी असीम कृपा बनी रहती है।

जो व्यक्ति निश्चित रूप से मंगलवार एवं शनिवार को हनुमान जी की पूजा करता है, उसके अंदर अलौकिक शक्ति का संचार होता है। हनुमान चालीसा के पाठ से मनुष्य हर प्रकार की पीड़ा एवं संकट से मुक्त रहता है। भगवान् हनुमान इस ब्रह्माण्ड में सजीव रूप से विधमान हैं।

हनुमान जी का आशीर्वाद पाने के लिए शुद्ध होकर नियमित रूप से प्रत्येक मंगलवार एवं शनिवार को हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa) का पाठ करना चाहिए, यह अत्यत लाभकारी चालीसा है। हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने वाले का जीवन मंगलमय हो जाता है।

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Hanuman chalisa

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा में हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa) की अलौकिक शक्तियों का वर्णन किया गया है। हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए हनुमान जी एवं श्री राम जी का स्मरण करते रहना चाहिए। ऐसा करने से पाठ का सर्वोत्तम फल प्राप्त होता है। हनुमान चालीसा अपने आप में अलौकिक है। देवतागण भी हनुमान जी का गुणगान करते हैं।

हनुमान जी की महिमा अपरंपार है। हनुमान जी के अनेक नाम है,जैसे- बजरंगबली, केसरीनन्दन, पवन पुत्र, मारुती नंदन आदि। जो भक्त नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करता है। उस पर सदा हनुमान जी की कृपा बनी रहती है। वह संसार के समस्त कष्टों एवं संकटों से मुक्त रहता है। हनुमान चालीसा के पाठ से भक्त के आसपास भी नकारात्मक शक्तिया भटक तक नहीं पाती है।

Shri Hanuman chalisa Hindi lyrics

॥ दोहा॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज
निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि ॥

बुद्धिहीन तनु जानिके
सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं
हरहु कलेस बिकार ॥

॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥

राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुण्डल कुँचित केसा ॥4

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥

शंकर स्वयं केसरी नंदन ।
तेज प्रताप महा जगवंदन ॥

बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ॥8

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ॥

लाय सजीवन लखन जियाए ।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥12

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥16

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना ।
लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥

जुग सहस्त्र जोजन पर भानु ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥

दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥20

राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रक्षक काहू को डरना ॥

आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तै काँपै ॥

भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।
महावीर जब नाम सुनावै ॥24

नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥

संकट तै हनुमान छुडावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥

सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिनके काज सकल तुम साजा ॥

और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोई अमित जीवन फल पावै ॥28

चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥

साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥

राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥32

तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥

अंतकाल रघुवरपुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥

और देवता चित्त ना धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥

संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥36

जै जै जै हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥

जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहि बंदि महा सुख होई ॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥40

॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुर भूप ॥

Shri Hanuman chalisa English lyrics

Doha
Shri Guru Charan Saroj raj
Nija manu Mukura sudhari
Baranau Raghuvar Bimal Jasu
Jo Dayaku Phala Chari

Budheeheen Tanu Jannike
Sumiro Pavan Kumara
Bal Buddhi Vidya Dehoo Mohee
Harahu Kalesh Vikaar

Chaupai
Jai Hanuman gyan gun sagar
Jai Kapis tihun lok ujagar

Ram doot atulit bal dhama
Anjani putra Pavan sut nama

Mahabir vikram Bajrangi
Kumati nivar sumati Ke sangi

Kanchan varan viraj subesa
Kanan Kundal Kunchit Kesha 4

Hath Vajra Aur Dhwaja Viraje
Kaandhe moonj janeu saaje

Sankar suvan kesri Nandan
Tej prataap maha jag vandan

Vidyavaan guni ati chatur
Ram kaj karibe ko aatur

Prabhu charitra sunibe ko rasiya
Ram Lakhan Sita man Basiya 8

Sukshma roop dhari Siyahi dikhava
Vikat roop dhari lank jalava

Bhim roop dhari asur sanhare
Ramachandra ke kaj sanvare

Laye Sanjivan Lakhan Jiyaye
Shri Raghuvir Harashi ur laye

Raghupati Kinhi bahut badai
Tum mama priya Bharat-hi-sam bhai 12

Sahas badan tumharo yash gaave
As kahi Shripati kanth lagaave

Sankadhik Brahmaadi Muneesa
Narad Sarad sahit Aheesa

Yam Kuber Dikpaal Jahan te
Kavi kovid kahi sake kahan te

Tum upkar Sugreevahin keenha
Ram milaye rajpad deenha 16

Tumhro mantra Vibheeshan maana
Lankeshwar Bhaye Sab jag jana

Yug sahasra yojan par Bhanu
Leelyo tahi madhur phal janu

Prabhu mudrika meli mukh mahee
Jaladhi langhi gaye achraj nahee

Durgam kaj jagat ke jete
Sugam anugraha tumhre tete 20

Ram duwaare tum rakhvare
Hot na agya binu paisare

Sab sukh lahai tumhari sarna
Tum rakshak kahu ko darna

Aapan tej samharo aapai
Teenon lok hank te kanpai

Bhoot pisaach Nikat nahin aavai
Mahavir jab naam sunavai 24

Nase rog harae sab peera
Japat nirantar Hanumat beera

Sankat se Hanuman chhudavai
Man Kram Vachan dhyan jo lavai

Sab par Ram tapasvee raja
Tin ke kaj sakal Tum saja

Aur manorath jo koi lavai
Soi amit jeevan phal pavai 28

Charon jug partap tumhara
Hai parsiddh jagat ujiyara

Sadhu Sant ke tum Rakhware
Asur nikandan Ram dulare

Ashta siddhi nav nidhi ke data
As var deen Janki mata

Ram rasayan tumhare pasa
Sada raho Raghupati ke dasa 32

Tumhare bhajan Ram ko pavai
Janam janam ke dukh bisraavai

Antkaal Raghuvar pur jayee
Jahan janam Hari Bhakt Kahayee

Aur Devta Chitt na dharahin
Hanumat sei sarv sukh karahin

Sankat kate mite sab peera
Jo sumirai Hanumat Balbeera 36

Jai Jai Jai Hanuman Gosain
Kripa Karahun Gurudev ki nayin

Jo shat bar path kare koi
Chhutahin bandi maha sukh hoi

Jo yeh padhe Hanuman Chalisa
Hoye siddhi saakhi Gaureesa

Tulsidas sada hari chera
Keejai Nath Hriday mahn dera 40

Doha
Pavan Tanay Sankat Harana,
Mangala Murati Roop
Ram Lakhan Sita Sahita,
Hriday Basahu Soor Bhoop

हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa) पाठ के लाभ

हनुमान जी का ह्रदय सागर से भी बड़ा है। वो भक्तों के छोटे से प्रयास पूजा-पाठ से अतिशीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। अगर कोई भक्त किसी संकट अथवा विपत्ति में फंस जाता है, तो और वह सच्ची श्रद्धा एवं भक्ति के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करता है, तो तत्काल हनुमान जी उसकी रक्षा करते हैं। हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले भक्तों पर हनुमान जी के अलावां समस्त देवताओं की भी कृपा बरसती है।

हनुमान चालीसा में स्पष्ट रूप से लिखा है कि, “जो यह पढ़े हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा।” तुलसीदास की सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें अपने दर्शन दिए थे। और हनुमान जी के आशीर्वाद से ही तुलसीदास जी को श्री राम जी का आशीर्वाद मिला था।

जो भक्त हनुमान जी को सच्ची भावना व श्रद्धा के साथ अपने ह्रदय में बसा कर रखता है। जैसे हनुमान जी ने श्री राम जी को बसाया था। और अपना सीना चीर कर समस्त सृष्टि को दिखाया था। ऐसी भक्ति करने वाले भक्त का संसार की कोई भी शक्ति अमंगल नहीं कर सकती। और हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa) के पाठ के लाभों का वर्णन इस प्रकार है।

बीमारी में लाभदायक

जो व्यक्ति काफी समय से बीमार हो, और हर जगह इलाज कराकर हार गया हो, और तब भी बीमारी ठीक न हो रही हो, तो उसे हनुमान चालीसा का पाठ सच्ची श्रद्धा एवं भक्ति के साथ करना चाहिए। हनुमान जी की कृपा से जटिल से जटिल रोग समाप्त हो जाते हैं।

भक्त पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाता है। शरीर में एक अलौकिक शक्ति का संचार होता है। जिसके ऊपर हनुमान जी की कृपा होती है, उसके निकट किसी भी प्रकार का रोग नहीं आ पाता है। वह व्यक्ति समस्त बीमारी एवं पीड़ा से मुक्त हो जाता है। इसका वर्णन हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa) में भी किया गया है। जो इस प्रकार है- “नासै रोग हरै सब पीड़ा, जपत निरंतर हनुमत बीरा।”

बल, बुद्धि एवं विद्या में वृद्धिकारक

श्री राण भक्त हनुमान अलौकिक शक्तियों के स्वामी हैं। इनकी शक्तियों के आगे ब्रह्माण्ड की समस्त शक्तियां क्षीण हो जाती हैं। इनकी शक्तियों का वर्णन रामायण से लेकर हनुमान चालीसा तक में देखने को मिलता है। इनके बुद्धि और पराक्रम के आगे देव-दानव सभी लोग नतमस्तक हो जाते हैं। इनकी कृपा से भक्त पराक्रमी व् बुद्धिमान बनता है। इन्होने अपनी बुद्धि के बल पर सुरसा नामक राक्षसी को भी अपनी बुद्धि का लोहा मनवा दिया था। और नतमस्तक करवा दिया था।

हनुमान जी को बल, बुद्धि एवं विद्या का देवता माना जाता है। जो व्यक्ति हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa) का नियमित पाठ करता है, विशेषकर मंगलवार एवं शनिवार को वो अत्यंत बुद्धिमान, परमज्ञानी एवं बलवान होता है। हनुमान जी की कृपा अपरंपार है। हनुमान चालीसा के पाठ से स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।

संकटनाशक

हनुमान जी को संकट मोचन भी कहा जाता है। ये समस्त संकटों को हरने वाले देवता हैं। जब भी किसी भक्त पर संकट आता है, और वह सच्ची श्रद्धा भक्ति के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करता है, तो हनुमान जी के प्रताप से उसके समस्त संकट समाप्त हो जाते हैं। हनुमान जी समस्त संकटों और विपदाओं से भक्त की रक्षा करते हैं।

व्यक्ति सदा संकटों से मुक्त रहता है। उसके जीवन की समस्त बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। जहां तक संभव हो प्रत्येक व्यक्ति को अपने पास सदैव एक हनुमान चालीसा रखनी चाहिए, और जब भी समय मिले हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। हनुमान चालीसा में इसका वर्णन भी किया गया है, जो इस प्रकार है- “संकट से हनुमान छुडावैं , मन क्रम वचन ध्यान जो लावैं।”

डर से छुटकारा

जो व्यक्ति नियमित रूप से प्रातः काल उठकर स्नान आदि नित्य क्रिया से निवृत होकर हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa) का पाठ करता है। उस पर किसी भी शैतानी ताकतों का प्रभाव नही पड़ता है। वह व्यक्ति सदा भय मुक्त रहता है। हनुमान चालीसा के अलौकिक प्रभाव से नकारात्मक ऊर्जा क्षीण होकर समाप्त हो जाती है।

हनुमान चालीसा करने से सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है। जिससे भक्त के मन में पनपा भय समाप्त हो जाता है। जब भी भक्त के मन में किसी प्रकार का भय सताये, मन में हीं भावना जागृत हो तो तत्काल हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। हनुमान चालीसा डर को नाश करने वाला एक अभेद उपाय है। हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa) में लिखा है कि, “भूत पिशाच निकट नहीं आवैं, महावीर जब नाम सुनावैं।”

समस्त कष्टों से छुटकारा

हनुमान चालीसा का सच्ची श्रद्धा एवं भक्ति के साथ पाठ करने से एक भक्त के शरीर में एक अलौकिक शक्ति का निर्माण होता है। हनुमान जी मंगलकारी एवं सर्वश्रेष्ठ हैं, सर्वशक्तिमान हैं। अलौकिक शक्तियों के स्वामी हैं। जिनके ऊपर हनुमान जी की कृपा बरसती है, उनके समस्त संकट स्वतः समाप्त हो जाते हैं।

पारिवारिक क्लेश दूर होकर प्रेम भाव उत्पन्न होना है। व्यक्ति समस्त कष्ट ,पीड़ा आदि से मुक्त रहता है। हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa) के पाठ से भक्त के ऊपर आने वाली समस्त अमंगलकारी, कष्टकारी, संकटदायी शक्तियां विलुप्त हो जाती हैं। व्यक्ति के जीवन मे कैसा भी संकट हो, किसी भी प्रकार की बाधा हो, उसका विनाश हो जाता है। और व्यक्ति चिंता मुक्त होकर सदैव प्रसन्न रहता है।

मोक्ष की प्राप्ति

मनुष्य के जीवन का मूल उद्देश्य मोक्ष को प्राप्त करना होता है। जो व्यक्ति इस के संसार मायाजाल में फंसा रहता है। उसे कभी मोक्ष नहीं प्राप्त होता है। और जो व्यक्ति अपने मन, क्रम, वचन में हनुमान जी का स्मरण करता है। और नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करता है। उसे मोक्ष प्राप्त होता है।

श्री राम भक्त हनुमान जी के द्वारा मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है। जब किसी व्यक्ति की आत्मा उसके शरीर का परित्याग करती है। तो जो व्यक्ति माया रुपी संसार में उलझा रहता है, और हनुमान भक्ति से दूर रहता है। उस व्यक्ति को मोक्ष नहीं प्राप्त होता है। और जो व्यक्ति हनुमान जी की भक्ति में लीन रहता है।

जो हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa) का पाठ करता है। वो व्यक्ति हनुमान जी की कृपा से श्री राम जो की हरी के अवतार हैं के चरणों में स्थान पाता है, यानी मोक्ष को प्राप्त करता है। हनुमान चालीसा में स्पष्ट लिखा है कि, “अंत काल रघुवरपुर जाई, जहाँ जन्म हरी भक्त कहाई, और देवता चित्त न धरहिं, हनुमत सेई सर्व सुख करई।”

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Hanuman chalisa

हनुमान चालीसा के पाठ में रखें इन बातों का ध्यान

श्री राम भक्त हनुमान इस कलयुग के भगवान् माने जाते हैं। वे सशरीर इस ब्रह्मांड की रक्षा करते हैं। जो व्यक्ति हनुमान जी के आशीर्वाद का अभिलाषी है। उसे नियमित रूप से हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa) का पाठ करना चाहिए। वैसे मंगलवार एवं शनिवार का दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए विशेष फलदायक होता है। हनुमान चालीसा का पाठ करते समय ध्यान रखने वाली बात इस प्रकार है।

  • मंगलवार एवं शनिवार के दिन प्रातः काल उठकर स्नान आदि नित्य क्रिया से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र पहनकर पहले घर के पूजा स्थल पर जाकर हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर के समक्ष उपस्थित होकर हनुमान जी का स्मरण करना चाहिए।
  • हनुमान चालीसा का पाठ करने से पूर्व हनुमान जी की प्रतिमा अथवा तस्वीर पर फुल एवं माला अवश्य अर्पित करनी चाहिए।
  • हनुमान चालीसा का पाठ आरम्भ करने से पूर्व हनुमान जी को सिंदूर का तिलक लगाना चाहिए। क्योंकि हनुमान जी को सिंदूर अति प्रिय है। सिंदूर से राम भक्त हनुमान शीघ्र प्रसन्न होते हैं। और अपने भक्त पर अपनी कृपा बरसाते हैं।
  • हनुमान चालीसा का पाठ करते समय अपने भीतर किसी भी गलत विचार को नहीं आने देना चाहिए। अपना ध्यान हनुमान जी की भक्ति पर केंद्रित रखना चाहिए।
  • हनुमान चालीसा का पाठ पूर्ण निष्ठा, भक्ति एवं लगन से करना चाहिए। एवं स्वछता का विशेष ध्यान रखना चाहिये।
  • मंगलवार एवं शनिवार के दिन अगर संभव हो सके तो लाल रंग की लंगोट हनुमान जी को अवश्य अर्पित करनी चाहिए। उसके पश्चात हनुमान चालीसा का पाठ आरम्भ करना चाहिए। ये अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है।
  • प्रत्येक मंगलवार को नियमित रूप से हनुमान जी का व्रत रखना चाहिए। एवं प्रातः काल व् सायंकाल हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
  • हनुमान चालीसा पढ़ने से पूर्व हनुमान जी की मूर्ति के समक्ष तांबे के लोटे में जल भर कर एवं उसमें तुलसी के पत्ते डालकर रख देना चाहिए। एवं पाठ समाप्त होने के पश्चात उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए।
  • हनुमान जी को बेसन के लड्डू का भोग लगाना चाहिए। अगर लड्डू उपलब्ध न हो तो भोग के रूप में मिश्री या गुड़ चना आदि का भोग लगाना चाहिए।

हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa) का पाठ करने की विधि

इस युग में हनुमान जी सबसे शक्तिशाली भगवान् हैं। जो अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इसलिए किसी भी धार्मिक कार्यों में हनुमान चालीस को विशेष स्थान दिया जाता है। हनुमान चालीसा का पाठ हनुमान जी को प्रसन्न करने का सबसे अचूक उपाय है।

जो कोई पूर्ण निष्ठा एवं भक्ति के साथ अपने ह्रदय में हनुमान जी का स्मरण करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ करता है। उस पर सदैव हनुमान जी की कृपा बनी रहती है। हनुमान जी को प्रसन्न कर अति शीघ्र उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने हेतु हनुमान चालीसा का पाठ करने की विधि इस प्रकार है।

  • प्रातः काल उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ कपडे पहन कर पूजा स्थल पर जाएँ।
  • पूजा स्थल पर हनुमान जी की मूर्ति /तस्वीर को पूर्व या दक्षिण दिशा की तरफ रखें।
  • हनुमान जी की तस्वीर के नीचे लाल रंग का कपड़ा अवश्य बिछाएँ।
  • हनुमान चालीसा का पाठ आरम्भ करने से पूर्व हाथ जोड़कर हनुमान जी का श्रद्धा भाव के साथ स्मरण करें।
  • हनुमान जी की मूर्ति के सम्मुख शुद्ध देशी घी अथवा तिल के तेल की अखंड ज्योति प्रज्वलित करें।
  • हनुमान जी की मूर्ति के सम्मुख 1 लोटे में तुलसी के कुछ पत्ते डालकर रख दें।
  • हनुमान जी को मिश्री या गुड़, चना अथवा मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद हनुमान जी का पाठ आरम्भ करें।

ऐसा 21 मंगलवार एवं शनिवार को करने से हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। एवं मनोंकामना पूर्ण होती है।

हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa) के पाठ में ध्यान देने योग्य विशेष सावधानियां

शुद्धता

कई लोग बिना स्नान किये या अशुद्ध अवस्था में ही हनुमान चालीसा का पाठ करने लगते हैं। यह अनुचित है। इससे हनुमान जी रुष्ट होते हैं। हनुमान चालीसा का पाठ करते समय शुद्धता की विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

स्मरण

कुछ लोग हनुमान चालीसा का पाठ करते समय अपने ह्रदय में हनुमान जी का स्मरण नहीं करते है। अनुचित विचारों में खोये रहते है। ऐसा करते हुए हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa) का पाठ करने का कोई फायदा नहीं होता है।

श्रद्धा भाव

कुछ व्यक्ति हनुमान चालीसा का पाठ बिना श्रद्धा भाव के ही करते हैं। वे बस एक दिखावे के रूप में हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa) का पाठ करते हैं। ऐसा करना गलत होता है।

मांस-मदिरा का सेवन

कुछ लोग करते तो हैं, हनुमान चालीसा का पाठ परन्तु वे मांस-मदिरा का भी सेवन करते हैं। ऐसा करने वाले व्यक्ति हनुमान जी की कृपा से वंचित रह जाते हैं।

शुद्ध उच्चारण

कुछ व्यक्ति हनुमान चालीसा के पाठ में शब्दों का उच्चारण ठीक से नहीं करते हैं। शब्दों का शुद्ध उच्चारण न करना गलत है। हनुमान चालीसा का पाठ हमेशा शुद्ध उच्चारण के साथ करना चाहिए। अन्यथा इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है।

अनुचित लालसा

जो लोग हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa) का पाठ किसी अनुचित अथवा दूषित भावना से ग्रसित करते हैं। उन्हें इसका फल नहीं मिलता है। किसी अनुचित लालसा से वशीभूत होकर हनुमान चालीसा का पाठ करना व्यर्थ होता है।

वस्त्र अर्पण

प्रत्येक मंगलवार एवं शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करने से पूर्व हनुमान जी को एक लाल रंग की लंगोट भी अर्पित करनी चाहिए। हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं। और हमेशा लाल रंग की लंगोट धारण करते हैं। जो उन्हें अति प्रिय है।

दीप प्रज्वलित

हनुमान चालीसा के पाठ में दीप प्रज्वलित करने का एक विशेष महत्व होता है। हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa) पाठ आरम्भ करने से पूर्व अखंड ज्योति प्रज्वलित करनी चाहिए। जहां तक संभव हो लाल रंग के सूत के धागे की बत्ती का उपयोग करना चाहिए। अगर संभव नहीं है तो, रुई से भी दीप प्रज्वलित किया जा सकता है।

लाल वस्त्र का आसन

जिस शुद्ध स्थान पर हनुमान जी की मूर्ति अथवा फोटो स्थापित करनी हो पहले वहां पर लाल रंग का शुद्ध वस्त्र बिछाना चाहिए। फिर उसके ऊपर मूर्ति स्थापित करनी चाहिए।

हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa) की उपयोगिता

हनुमान जी श्री राम जी के सच्चे भक्त है। उनके ह्रदय में केवल राम बसते हैं। एक बार लक्ष्मण जी द्वारा हनुमान जी के भक्ति पर संदेह व्यक्त किया तब हनुमान जी ने अपना सीना चीर कर दिखा दिया था, उनके ह्रदय में साक्षात् श्री राम और सीता स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे थे। ऐसी ही भक्ति प्रत्येक व्यक्ति को हनुमान जी की करनी चाहिए। तुलसी दास द्वारा रचित हनुमान चालीसा में इसकी उपयोगिता का वर्णन किय गया है। जो की इस प्रकार है।

  • अगर आप को किसी प्रकार का भय सता रहा हो, तो इस पंक्ति का जप करें- सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना।
  • जब आप पर कोई संकट आ जाये तो इस पंक्ति का जप करें- संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा
  • अगर आप गंभीर बीमारी से पीड़ित हों, तो इस पंक्ति का जप करें- नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा।
  • अगर आपके मन में नकारात्मक विचार आ रहे हों और डर महसूस हो रहा हो तो इस पंक्ति का जप करें – भुत पिशाच निकट नहीं आवैं, महावीर जब नाम सुनावैं
  • यदि आप किसी विपदा में फंस गए हैं, तो इस पंक्ति का जप करें- संकट ते हनुमान छुडावैं, मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।
  • अपनी उचित एवं शुद्ध मनोकामना की पूर्ति हेतु इस पंक्ति का जाप करें- और मनोरथ जो कोई लावै, सोइ अमित जीवन फल पावै।
  • बुद्धि, विद्या एवं बल में वृद्धि हेतु इस पंक्ति का जप करें- बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेस विकार।
  • यदि आप किसी बंधन में जकड़े हैं, तो इस पंक्ति का जप करें- जो सात बार कर कोई, छूटहि बंदी महा सुख होई।
  • किसी कार्य को करने के लिए इस पंक्ति का जप करें- भीम रूप धरी असुर संहारे, रामचंद्र जी के काज सवारे।
  • अगर आप बुरी संगत में फसें हो तो इस पंक्ति का जप करें- महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी।

उपरोक्त पंक्तियाँ हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa) की हैं, और अगर कोई व्यक्ति सच्ची श्रद्धा एवं भक्ति के साथ सम्बंधित जरूरतों के अनुसार उक्त पंक्तियों का जाप करता है, तो निश्चित ही वो सफल होगा। ये समस्त पंक्तियाँ व्यक्ति के जीवन में अत्यंत उपयोगी है। जिसका विस्तृत वर्णन हनुमान चालीसा में दिया गया है।

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Shri Hanuman chalisa का सारांश

हनुमान चालीसा अपने आप में एक सम्पूर्ण चालीसा है। अगर आप नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करते है तो आप को कही भी इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। हनुमान चालीसा करने से आपका मन साफ़ होगा और आप जो कार्य करते हो उस में मन लगेगा और बरकत होगी।

मैं स्वम हनुमान चालीसा का पाठ करता हूँ। जब मैंने हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू उस के बाद मेरे अंदर एक नई ऊर्जा का आभास हुवा। हनुमान चालीसा करने से पहले मेरे अंदर आत्मविश्वास की बहुत कमी महसूस होती थी। लेकिन आज मेरा आत्मविश्वास उच्चतम स्तर पर है।

मैंने और भी कई लोगो को हनुमान चालीसा का पाठ करने की सलाह दिया जिन लोगो ने हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रूप से जारी रखा उनके जीवन में साफ बदलाव दिखा। आज मैं हर अपने सुभचितक को हनुमान चालीसा का पाठ करने को कहता हूँ।

मैंने कई लोगो को देखा है की जब वो हारी-बीमारी या किस मुसीबत में होते है तब हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर देते है। जैसे ही उनका जीवन नॉर्मल हो जाता तब हनुमान चालीसा का पाठ करना बंद कर दते है। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए आप को हर समय में हनुमान चालीसा का पाठ करते रहना चाहिए।

बहुत लोगो ऐसा लगता है की जब वो रिटायर हो जायेगे तब पूजा-पाठ करना शुरू करेगा। मैं आप लोगो को बताना चाहता हूँ की पूजा-पाठ करने की कोई उम्र नहीं होती है। आप जिस उम्र में पूजा-पाठ कर सकते है। अतः मैं आप लोगों से आग्रह करता हूँ की आज से हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू कर दे।

हनुमान चालीसा बहुत ही सरल है। आप लोगों के लिए मैंने हनुमान चालीसा पाठ का लिरिक्स हिंदी और इंग्लिश में ऊपर उपलब्ध करा दिया है जिस की मदद से आप आसानी से हनुमान चालीसा पाठ कर सकते है। साथ में ही हनुमान चालीसा पीडीएफ फाइल भी लिंक दे दिया है। आप लोग लिंक पर क्लिक कर के हनुमान चालीसा पीडीएफ फाइल को डाउनलोड कर सकते है।